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|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक= उज्ज्वल भट्टाचार्य
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<Poem>
मैं घरेलू नौकरानी हूँ । मुझे प्यार था
एक ऐसे शख़्स से, जो नाज़ी संगठन एस ए<ref>एस ए - खाकी हाफ़पैण्ट की वर्दी पहनने वाले नाज़ियों का अर्धसैनिक संगठन
</ref> में था ।
एकदिन जाने से पहले
हंसते हुए उसने मुझे दिखाया, वे क्या करते हैं
जब कोई भुनभुनाने वाला मिल जाता है ।
जेब से खड़िया निकालकर
अपनी हथेली पर उसने क्रॉस का एक निशान बनाया ।
उसने मुझसे कहा, इसे लेकर वह
सादी पोशाक में रोज़गार दफ़्तर जाता है
जहाँ बेरोज़गार लोग लाईन में खड़े होते हैं और भुनभुनाते रहते हैं
और वह ख़ुद भी भुनभुनाता है और उसी दौरान
हमदर्दी दिखाते हुए किसी एक के कन्धे पर हाथ रखता है
थपकी देते हुए वह खड़िया से निशान लगा देता है
उसकी पीठ पर, और एस ए के लोग उसे पकड़ लेते हैं ।
हम सुनकर हंसते रहे । ।

तीन महीने तक मेरा उसका साथ चलता रहा, फिर मैंने देखा
मेरे बैंक के खाते से उसने पैसे चुरा लिए हैं ।
उसने कहा, वह उन्हें हिफ़ाज़त से रखना चाहता है (ज़माना ख़राब है) ।

जब मैंने उससे हिसाब माँगा, वह क़सम खाने लगा
कि उसके इरादे नेक हैं. और ऐसा कहते हुए
उसने मेरे कन्धे पर हाथ रखा
दहशत के मारे मैं भाग खड़ी हुई । घर लौटकर
शीशे में मैंने अपनी पीठ देखने की कोशिश की, कहीं वहाँ
खड़िया का निशान तो नहीं बना है ।

'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
</poem>
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