भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त |अनुवादक= उज्ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक= उज्ज्वल भट्टाचार्य
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
छात्रों के बिना शिक्षा देना
शोहरत के बिना लिखना
मुश्किल काम है ।

ख़ूबसूरत है, सुबह-सुबह निकल पड़ना
ताज़ा-ताज़ा लिखे गए पन्ने साथ लेकर
इन्तज़ार करते छापेवाले के पास, व्यस्त बाज़ार से होकर
जहाँ गोश्त और औज़ार बिकते हैं
तुम शब्द बेचते हो ।

ड्राइवर तेज़ गाड़ी चलाता रहा
उसे नाश्ता करने का समय नहीं मिला
हर मोड़ पर ख़तरा था
वह जल्दी से गेट के अन्दर पहुँचता है
उसे जिसे साथ ले जाना था
वह पहले ही चल चुका है ।

कोई बोले जा रहा है, जिसे कोई नहीं सुनता :
वह ऊँची आवाज़ में बोलता है
ख़ुद को दोहराता है
वह ग़लत बोले जा रहा है
कोई उसे नहीं सुधारता ।

'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,606
edits