भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेखर सिंह मंगलम |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शेखर सिंह मंगलम
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
गुमराह नस्ल की खोपड़ी में
अफ़वाहों की नसें फैलती जा रही
हलक में कीचड़ तैर रहा,
सौहार्द के मुँह पे
नाले मूत्र विसर्जन कर
एकता को गुलेल से बदबू मार रहे,
गंधौरा तालाब गंगाजल को स्ट्रेचर पर
सिटी स्कैन कराने के लिए
डाइग्नोसिस सेंटर ले कर आया है,
साथ में कुछ तीमारदार भी हैं-जैसे
बरसाती, शीशी, खून सने लत्ते,
काई, जलकुंभी, बे-हया वग़ैरह-वग़ैरह
जो कम्पाउंडर को डॉक्टर समझ समस्याएं गिना रहे जबकि
न तो कम्पाउंडर और न ही कोई तंत्रिका-विज्ञानी
गंगाजल की खोपड़ी का
सिटी स्कैन कर सकता है-
गंधौरा तालाब गंगाजल का इलाज़ नहीं बल्कि
चीड़फाड़ करवा उसे सोखना चाहता है-जैसे
नकली मुद्दों का सरौता
जनहित के मुद्दों को चीड़फाड़ कर सोख रहा।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=शेखर सिंह मंगलम
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
गुमराह नस्ल की खोपड़ी में
अफ़वाहों की नसें फैलती जा रही
हलक में कीचड़ तैर रहा,
सौहार्द के मुँह पे
नाले मूत्र विसर्जन कर
एकता को गुलेल से बदबू मार रहे,
गंधौरा तालाब गंगाजल को स्ट्रेचर पर
सिटी स्कैन कराने के लिए
डाइग्नोसिस सेंटर ले कर आया है,
साथ में कुछ तीमारदार भी हैं-जैसे
बरसाती, शीशी, खून सने लत्ते,
काई, जलकुंभी, बे-हया वग़ैरह-वग़ैरह
जो कम्पाउंडर को डॉक्टर समझ समस्याएं गिना रहे जबकि
न तो कम्पाउंडर और न ही कोई तंत्रिका-विज्ञानी
गंगाजल की खोपड़ी का
सिटी स्कैन कर सकता है-
गंधौरा तालाब गंगाजल का इलाज़ नहीं बल्कि
चीड़फाड़ करवा उसे सोखना चाहता है-जैसे
नकली मुद्दों का सरौता
जनहित के मुद्दों को चीड़फाड़ कर सोख रहा।
</poem>