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Kavita Kosh से
दिखा देती हो हमें कोई सुंदर तस्वीर
हम पिता को खो चुकी बच्चियांबच्चियाँउस भूखे बालक - सी रह जाती हैं तरसतीजिसे भिक्षा में मिली एकलौती इकलौती रोटी
ज़मीन पर गिरकर हो गई है किरकली
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