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[[Category:चोका]]
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1मेरी खातिरनित नेम से बाँधेहर पहरमन्नत के जो धागेदुख सारे हीदुम दबाके भागेउन धागों मेंमेरा सुख अकूतपिरोके तूनेआँँसू से मन्त्रपूतकर दिया हैचली टटोलने कोचिंता की नब्जछूकर मेरा माथाएक पल मेंधगड़कर गाँठधीरे से कसीआँचल के छोर मेंखुद-ब-खुदखुल गईं बेड़ियाँउन्मुक्त उड़ीसाँझ या कि भोर मेंआस का नभचूमूँ हो विभोर मैंन कभी बहीहार की हिलोर मेंकब सहमीसन्नाटे के शोर मेंमेरे सर से'सेरा' उसारकरआधि- व्याधि कोफेंका उतारकरमेरी अक्सीरतेरे पोर- पोर मेंजगाते भागमाँ तेरे ये दो हाथदुआ से दिन- रात। ('सेरा' अर्थात अनाज का वह थोड़ा भाग, जो माँ अपनी संतान की सलामती के लिए उसके सर के ऊपर सात बार घुमाकर अलग रख देती है दान के हित।-0-
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