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एक
जर्मन कैंप कैम्प के कैदियों क़ैदियों में एक
प्रमुख चिकित्‍सक
हर रात क्‍लास्‍क में
मुर्दों को
ले जाती हैं गाड़ियाँ
सुबह जिंदा ज़िन्द हो जाते हैं मुर्देंऔर छेदने लगते हैं बंदूकों बन्दूकों से जंगल।
दो
डाक्‍टर पतझर,
ओह डाक्‍टर पतझर;पतझ !
उठ गया है पर्दा
तुम्‍हारी पीठ से ऊपर
चेचक सरीखे दाग
कर दिए हैं गोलियों ने दीवार पर।
बैरक के ऊपर मँडरा मण्डरा रही है चीखेंचीख़ें
उनींदी-सी हैं पागल आँखें
कोट पर अंकित हो गये गए हैंअंधे अन्धे पदकों के चिह्न।चिह्न ।
लवरादोर के महानुभाव
पाव्‍लोवपाव्‍लोफ़, मेच्निकोवमेच्निकफ़, हिप्‍पोक्रेट्ससब पिटते रहे, खतरे ख़तरे मोल लेते रहे
प्रयोगशालाओं में
किसलिए?इसलिए कि फाँसी फ़ाँसी के फंदे फ़न्दे से तीन मीटर की दूरी परखुर्दबीन ख़ुर्दबीन की पीली आँखों से
मौत से बाल-बाल बचते हुए
ढूँढ ढू्ँढ़ निकालें जीवन मृत्‍यु अणुओं में?कि तुम जो कब्रों क़ब्रों के भीतरपड़े हो जहर ज़हर से प्रभावित,तिगुनी प्रतिभा की जरूरत ज़रूरत है इसके लिए
कि प्रेरणाएँ खींच सकें तुम्‍हें बाहर
संसार की ओर।ओर ।
और समापन की ध्‍वजाओं को फाड़कर
तुम चिल्‍ला नहीं सकोगे : ''खोज लिया है!''तख्त तख़्त से बचाते हुए अपनी खोपड़ी,सो जाओ अब चैन से।से ।
(डाक्‍टर पतझर सो जाते हैं। इसी वक्‍त फ्लास्‍क से साँप की तरह झाग उठती है। उनमें से मैफिस्‍टाफैलीज मैफ़िस्‍टाफ़ैलीज निकलता है। उसका चेहरा गोल और शेव किया हुआ है। उसके बाल फौजी फ़ौजी कट में बने हैं।)
मैफिस्‍टाफैलीजमैफ़िस्‍टाफ़ैलीज हेल, मृत्‍यु!
दोस्‍त, मैं आया हूँ तुम्‍हारे पास
एक नाजुक सुझाव लेकर।
जीव विज्ञान के संतुलनसन्तुलन-बिंदु बिन्दु पर
पहुँच गए हैं तुम्‍हारे हाथ,
जिंदगी ज़िन्दगी और मौत-बहुत गहरे हैं सवाल।सवाल ।
उनसे खिलवाड़ करना
क्‍या खतरनाक ख़तरनाक नहीं है?तुम-जैसे मानवतावादी चिकित्‍सा के लिए
कहीं अच्‍छा होता बीमारियों के बजाय
दवाइयों का आविष्‍कार करना।करना ।दूध की बोतलों की तरह सफेदसफ़ेद
चोगा पहने दुनिया भर के चिकित्‍सक
भर्त्‍सना करेंगे दम्‍भ सहित
तुम्‍हारे कारनामों की।की ।
कुदरत की हर चीज-चीज़ — चाँद, गाय, प्‍याज -सबके बीच सामंजस्‍य है।है ।
लोकवादी
चुनाव कर रहे हैं अपने राजाओं-महाराजाओं का।का ।
मुझे भी तो नहीं है संतोष सन्तोष हर चीज चीज़ पर (फाउस्‍ट फ़ाउस्‍ट का वह किस्‍सा क़िस्‍सा तुम्‍हें याद होगा ही)
रोकना
वक्‍त को?
संभव सम्भव है, जब भी चाहो।चाहो ।
तुम देते हो छूट वर्जनाओं को भी।भी ।
अणु की तरह तुम्‍हारी मौत आतिल-जैसी
अचानक विस्‍फोटित होती है महामारी में।
बहुत सजा लिया इन विषाणुओं को
आओ, अब चल दें
तहखाने तहख़ाने की भट्टी की ओर।
वहाँ सस्‍ती दरों पर मुझे मिलता है माल
आयातित भोजन का आनंद आनन्द लेते हुएआओ, फ्लर्ट फ़्लर्ट कर लें इस कमसिन मौत के साथ।साथ ।तीनों आपस में बाँट खायेंगेखाएँगेडिब्‍बे में बंद बन्द खाने को।को । (खिड़की के पीछे से मुर्गा बाँग देता है।है ।)मैफिस्‍टाफैलीजमैफ़िस्‍टाफ़ैलीज
(झुँझलाहट में)
कु क डूं ऊंडूँ ऊँ-ऊंऊँ-ऊंऊँकु क डूं ऊंडूँ ऊँ-ऊंऊँ-ऊंऊँवक्त वक़्त हो गया हैअभिवादन कर लें प्रतिद्वंद्वी प्रतिद्वन्द्वी का!
(छिप जाता है)
डाक्‍टर पतझर
(जागते हुए)
मिल रहे हैं पूर्व -निर्धारित संकेत। संकेत । सब कुछ ठीक हैयानी सभी साथी गुरिल्‍ला टुकड़ी तक पहुँच गये हैं।हैं ।बाँग दे, ओ मुर्गे!कि यातनाओं का अंत अन्त पास है।है ।हमारा प्रयोग-जिंदाबादज़िन्दाबाद !
तीन
(डॉक्‍टर पतझर खुर्दबीन ख़ुर्दबीन में देख रहे है)हमारी किस्‍मत क़िस्‍मत में है नहीं देख पाना
जो कुछ दीखता है उसे
उसे तो नाशपाती तक का गुदा गूदा दिखाई देता हैदिखाई देती हैं समुद्र की अथाह तहें।तहें ।
पेड़ की छाल की तरह
उघाड़ता है वह हवा की भी छाल,
और घुसेड़ देता है खूबसूरत झींगों को
किटाणुओं की दुनिया में।में ।
फूलमालाओं की तरह गुँथे हुए
घूम रहे हैं नक्षत्र-समूह।समूह ।हमें तो कुछ भी नजर नज़र नहीं आता हवा में
और उसे फलों के रस की शीशी की तरह
सब कुछ लगता है घना और रंगीन।रंगीन ।
और ठीक भूमिगत रेलवे की तरह
तुम्‍हारे खुश ख़ुश नथनों मेंदौड़ लगा रही है जीवाणुओं की फौज।फ़ौज ।
उसे दिखाई देती है गुप्‍त प्रक्रियाएँ और उनके नेगेटिव्‍ज
जो चमकते नजर नज़र आते हैं निकोटिन के बीचखून ख़ून की बूँदों की तरह
टपक रहे हैं रबीनिया के पत्‍ते
बिखर गई है वीर बहूटियाँ इधर-उधर।उधर ।ध्‍यान से रखते चलो अपने कदमक़दमकुचल न जाये जाए कहीं उनका अदृश्‍य प्‍यार।प्‍यार ।सावधान!
बर्बर आदिम वनस्‍पतियाँ
आ रही है हैं हमला करने के लिए
जल्‍दी करो, डॉक्‍टर,
चिल्‍लाओ… प्‍लेग!
तुम उसके गवाह हो,
लोगों को तो लगती है हवा स्‍वच्‍छ और निर्मल।निर्मल ।(किसके प्रयोगशाला सहायक का हो गया है दिमाग खराबख़राब)
गलती ग़लती से कह बैठा कुछ इंसानइनसानबस , इसी से आरंभ आरम्भ हुआ धर्मों का,
एक पल से
पूरे युग का।का ।
लोगों के दैनिक जीवन में
आँखें खोलने लगे थे
नवजात विषाणु हिटलरवाद के,
भिनभिना रहे थे
अणु रादिश्‍येव रदीषिफ़ और अणु हेगल
और वे लाखों कवि
जो पैदा नहीं हुए थे प्रति-कन्‍याओं से।से ।
और मध्‍य में
दो ध्रुवीय चुंबक चुम्बकों या नसों की तरह
काँप रहे थे
दो लिंगी कीट डिंबडिम्बजिसमें बंद बन्द पड़ा था मृत्‍यु-जीवन।जीवन ।
ट न न न...
चूजें के लिए जिंदगी— ज़िन्दगी, अंडे अण्डे के लिए-मौत-जिंदगी।ज़िन्दगी ।
ट न न न…
पहियों के नीचे
यह किसकी हुई ऐनक चकनाचूर।चकनाचूर ।
ट न न न…
कि जिंदगी ज़िन्दगी भाग रही है भेड़ियों की तरफतरफ़दाँतों में थामें थामे मृत्‍यु-खरगोश।खरगोश ।
राकेटों में लेटी है मौत
जिंदगी ज़िन्दगी की उनमें क्‍या है गारंटीगारण्टी ?
जिंदगी ज़िन्दगी का जन्‍म हुआ है अथाह गहराइयों में
पुकारा जाता है जिन्‍हें मौत के नामों से,
मृत्‍यु लाती है हमारे लिए
ट न न न…
ब्रह्मांड ब्रह्माण्ड हो जाता है परिवर्तित छोटे-से बिंदु बिन्दु में,
एक चिनगारी से बनता है प्रभात,
अणु संसार में है हमारा अंतअन्त, हमारा आरंभ।आरम्भ ।
और तुम इस खेल में
उतर आये हो ब्रह्मा के विरुद्ध।विरुद्ध ।
फौजियों फ़ौजियों की तरह शेव कियेकिए
मेरा यह डॉक्‍टर
निर्ममता को बदल रहा है करुणा में।में ।
कितना कष्‍टप्रद है यह
कि चेचक के टीके का पहला प्रयोग
अपने बेटे सरीखे नीली आँखों वाले सिग्‍नलमैन पर करना पड़े
और अचानक लगे
कि बीमारी होती जा रही है काबू से बाहर?
मौत पैदा करने का
क्‍या हमें कोई अधिकार है?
अचानक अणु आकार की यह मौत
विस्‍फोटित हो जाय जाए यदि महामारी के रूप में
और कहीं तुम्‍हारे नीचे ओपेनहाइमर
भालू की तरह फूहड़ तरीके से बैठा हो
परमाणु पर…
(उपसंहार : जिसमें लेखक की मुलाकात नायक से होती है।है ।)
तो डॉक्‍टर पतझर,
आखिर हमारी मुलाकात हो ही गई।गई ।
तुम्‍हारे इस एक्‍स-रे कैबिन में
अपने पापों को बताना ही पड़ता है
किसी ने मेरी कुहनी को ठंडे ठण्डे हाथों से छूकर
आगे बढ़ने का संकेत दिया है
और मैं ठंड ठण्ड में जम गया हूँ।हूँ ।
डाक्‍टर पतझर ने सुनहरी आँखों से देखा
मेरे आर-पार!
मैंने पहचान लिया
मानवता को पहचानती इन आँखों को!
पतझर,
क्‍या देख रहे हो तुम, मेरे भीतर
मेरी वांछित या अवांछित जिंदगी ज़िन्दगी में?कहाँ है? कैसे हैं?विनाश, उड़ानेउड़ानें, पापऔर कुचली हुई दर्दभरी दहलीजेंदहलीज़ें ?
हम देर तक चाय पीते रहे
तुम्‍हारे दमघोंटू कमरे में
तकलीफदेह तकलीफ़देह है कालरों का कसाव
अपने हँसोड़ आँसुओं के बीच
तुमने दिखाये दिखाए अपने एक्‍स-रे के कारनामेंकारनामेठीक चंद्रमा चन्द्रमा की तस्‍वीरों की तरहजिनमें खल रहा है अपने देश के राजचिह्न का न होना।होना ।
निगल गये गए वोदका के साथऔसत लंबाई लम्बाई का काँटाइस शख्स शख़्स ने तो पूरा मैडल ही निगल डाला।डाला ।इसलिए कि बिछड़ न जायजाएउस पर अंकित चेहरे से!ओ मैडौना की मुस्‍कान-पेट की भूलभुलैया!
अपनी जिंदगी ज़िन्दगी से बेहतर प्‍यार करतेवेनिस निवासी ने तो निगल ही डाला रेडियो बल्‍ब।बल्‍ब ।
उसने कोशिश की थी
उसे प्‍लास से बाहर निकालने की।की ।अपनी गति की सवायत्‍तता स्वायत्‍तता को बचाते हुएघंटाघरों घण्टाघरों की घंटियों घण्टियों की तरहबज रही थी घडियाँ थीं घड़ियाँ सगौरव आँतों में।में ।
एक ने तो पूरी अलार्म घड़ी खा डाली
उसका वक्‍तवक़्त
भीतर से ही करता था
जहरीली घोषणाएँ।ज़हरीली घोषणाएँ ।
भले ही हम हों नम्र और नश्‍वर
लेकिन असाध्‍य हीरे की तरह
पक रहा है समय हमारे भीतर
शिशु की तरह
ठीक दिल के पास।पास ।
और अचानक हाथी की तरह
जाग उठेंगे सम्‍मोहक स्‍वर
अद्वितीय काल के।के ।
काल
जो पसलियों की हड्डियों को जोड़ेगा
प्रलय के नगाड़े की तरह
स्‍वर्ग और पालातगंगा पातालगंगा के स्‍वरों से।से ।
स्‍पास त्‍यौहार-सा यह काल
अगत्‍स्‍य के आश्रम की तरह
संकेत देगा तुम्‍हें
आगे फैले कपट-जालों का।का ।
तुम और रूस-एक हो।ऊब गये गए हो तुम बिचौलियों से।से ।सहोदर हैं - जन्‍म और मृत्‍यु,इसी में है अंतिम सुख।अन्तिम सुख ।
तब दर्द से सिहरता ब्‍लोक
घोषणा करता है बारह की।की ।
झरोखे से चिपकने के लिए
सिकुड़ गया छोकरा जैसे कूदने के लिए।लिए ।
मैं पैदा हुआ हूँ
इस निरभ्र नीलिमा के नीचे
ताकि रूस के दिगंत दिगन्त कोमैं दे सकूँ स्‍वर।स्‍वर ।
पीना ही पड़ेगा हमें
पहाकाल महाकाल का यह प्‍याला।प्‍याला ।
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