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दीठ-दोस / चंद्रप्रकाश देवल

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|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
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<poem>
वांरै मनां आंमनौ है
के कोरामोरा कुदरत रा चितरांम कोरूं
अेक लेंडस्केप बणावणियौ म्हैं
लोगां रै दुख-दरद नै कांईं जांणूं

वै देखै कोनीं
म्हारै केनवास मांय हरमेस
अेक रंग उडीकै दूजा रंग नै
अेक खाली ठौड़ उडीकै आपरौ पसार
अरथ जलमावता वै दीसै साफ-साफ
अर वै सबदां रा साबला नीं व्है

अेक उडीक नै
सागीड़़ौ अरथ सूंपता
वै है
मिनखां रा संसार में
सबद जूंण सूं बारै
साफ-साफ वकारता
के देखौ-है बादळ रै मन
रूंख रै इंछा

औ मन
आ इंछा
आंरै सुख-दुख सूं भर्योड़ा व्है
छिलौछिल
</poem>
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