भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आस / चंद्रप्रकाश देवल

1,997 bytes added, 09:13, 17 जुलाई 2022
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]] |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
इण सैंठा ओद्रक पण अजांण-अनंत संसार में
भूंडा री जोड़ा-जोड़
कठैई लुक्योड़ौ थोड़ौक आछौ ई व्हैला
छिण-छिण छीजता पांणी ज्यूं
किणी छीलर के खांमणा में
आव तपास करां
तारां छाया इण इळाखंड माथै

वौ हाथै नीं आवै
वळा लग ज्यूं-त्यूं
दीहड़ा काटण री सोय में
अपांरी देही अंवरे राखां

नीं म्हारै अमेरिका बणणौ है
नीं थारै यूरोप
धूंधळा अतीत रै खोळै पड़्यां हां
छिण-पळ मगसी पड़ती तीजी दुनियां में

अपां तौ जमीं में गाड्योड़ा
कलदार हां
जमीं री पुड़तां में बसतै अंधारै हेट
आपरी भासा री गाती मार्यां
पड़्यां हां अबोला आंख्यां मींच
जांणै बुद्ध सूता व्है समाध में

लेय-देय अेक आस है
कोई तौ कदैई उकराळैला आ ठौड़
अर अपां परगटांलां सभ्यता व्हैय
जितै इण आस नै जीवती राखण
आव उडीकां।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits