भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''निकअलाय तीख़ानफ़ के लिए'''
 
मुझे नहीं चाहिए दूसरों की मेज़ों की धूल
नहीं चाहिए आँसू पराये आसमानों के,
हिमनद के साथ बिताने को अपना सारा समय ।
अन्धेरी झीलों के बीच यह मुहल्ला-मेरा है
उद्यान की बाड़ के बीच
लोहे के फूल लिए यह श्याम-श्वेत वस्त्र — मेरा है ।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,594
edits