भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

निर्भया / विशाखा मुलमुले

240 bytes added, 19:41, 24 जुलाई 2022
कुछ विकृत मानसिकताएँ इंसानियत का बलात्कार करती रही
दरिंदों , पिशाचों की श्रेणी में समाज को ढकेलती रही
 
यह सब देख ,
वह क्रोधित , झटपटाती हुई सुराख़ पाट चली
पुनर्जन्म का विचार सिरे से पुनः त्याग चली
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
16,441
edits