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मा : सात / कृष्णकुमार ‘आशु’

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|संग्रह=थार-सप्तक-5 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
मा
सुरग सिघारगी
बेटां करयो करम
खर्चो करयो हजारां में
जीमाया बामण
अर पंचायत रा मिनख ।
अेक कूणै में
पड़ी रै यी बा बाटकी
जिण में
मा पींवती चा।
हाथ नीं लगायौ कोई
कै मा’री बीमारी
नीं होवै कठै ई
इण बाटकी में।
</poem>
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