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सॉनेट — २५9
मेतिल्दा<ref>पाब्लो नेरूदा की प्रेयसी मेतिल्दा उरूशिया, जो बाद में उनकी तीसरी पत्नी बनी</ref> : नाम एक पौधे या एक चट्टान या मदिरा का
उन वस्तुओं का, जो धरा पर लेती हैं जन्म और होती हैं प्राप्त अन्त को :
वह शब्द जिसके विकास में होता है उदय, प्रभात का
जिसकी पूर्णता में प्रस्फुटित होता है नीबुओं का प्रकाश ।
काष्ठ निर्मित पोत उस नाम के सहारे होते हैं पार,
और अग्नि सी नीली समुद्री लहरें घेर लेती हैं उन्हें :
इसके अक्षर हैं उस सरिता के जल
जो बरसते हैं मेरे शुष्क हृदय से ।
 
ओ ! नाम जो रहता है अनावृत उलझी लताओं में
एक गुप्त सुरंग में खुलते दरवाज़े सा
विश्व की सुगन्ध की ओर !
 
उष्ण मुख से करो मुझपर आक्रमण : करो मुझसे प्रश्न,
रात्रि में अपनी आँखों से यदि चाहो तो —
पोत-सा चलने दो नाम के सहारे : दो मुझे वहाँ विश्राम ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनीत मोहन औदिच्य'''
'''लीजिए, अब इस रचना का अँग्रेज़ी अनुवाद पढ़िए'''
Pablo Neruda
Sonnet XxvI Matilda, name of plant or stone or wine,born of earth, and solid,word in which the dawn is rising,whose summer bursts the light of lemons. In this name runs the wooden shipssurrounded by swarms of fire naval blueand these letters are waters of the riverleading to my burnt out heart. Oh name discovered beneath a vine,like a door to an unknown tunnelconnecting to the fragrance of the world! Oh invade me with your scorching lips,Explore me, if you want, with those eyes of night,But in your name, allow me to sail, and sleep.  Translate from spanish by Frank Watson'''लीजिए, अब इस रचना को मूल स्पानी भाषा में पढ़िए''' Neruda, Pablo Soneto I Matilde, nombre de planta o piedra o vinode lo que nace de la tierra y dura,palabra en cuyo crecimiento amanece,en cuyo estío estalla la luz de los limones. En ese nombre corren navíos de maderarodeados por enjambres de fuego azul marino,y esas letras son el agua de un ríoque desemboca en mi corazón calcinado.
Oh nombre descubierto bajo una enredadera
como la puerta de un túnel desconocido
Que comunica con la fragancia del mundo!
Oh invádeme con tu boca abrasadora,
Indágame, si quieres, con tus ojos nocturnos,
Pero en tu nombre déjame navegar y dormir.
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