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चार पैग जो पी गया, भूला जग का बैर।
गिर नाली के कीच में, माँगे सबकी खैर।।
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इस जीवन में कब कहाँ , हुई कौन-सी चूक ।
पीर भला कैसे कहें, आज हुए हम मूक ॥
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