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दुखान्त / शशिप्रकाश

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<poem>
अक्सर
एक बेहतरीन प्रेम की कहानी
या तो दुखान्तिका होती है
या काल्पनिक I
इस दुनिया में
अक्सर नहीं होता
सफलता का मेल
एक सुन्दर प्रेम की कहानी से I

एक सुन्दर प्रेम की कहानी
अक्सर केवल यादों में रह जाती है
छाती में बाईं ओर
उठती रहती टीस की तरह
याद दिलाते हुए गर्व के साथ
एक सच्चे, सीधे-सादे इनसान को कि
उसने ईमानदारी से प्यार किया,
उसीके लिए जिया,
उसीके लिए सहा उसका दुखान्त
और गर्व के साथ
यह अहसास देते हुए कि
वह अब भी है इस निष्ठुर कठिन दुनिया में
ईमानदार इनसान,

लड़ सकता है फिर भी
वैसे ही प्यार के ख़ातिर
या उस जैसी ही
तमाम सुन्दर चीज़ों की ख़ातिर,
कर सकता है अपार धीरज से
अनथक इन्तज़ार
पूरी उम्मीदों के साथ —

तभी तो अभी भी
यहाँ छाती में बाईं तरफ
धड़कते हुए एक बेहद मज़बूत दिल में
उठती हैं
मीठे दर्द की लहरें,
दिमाग़ में सुरक्षित रहती हैं
सारी यादें !

और हम अभी भी
प्यार करने की पूरी ताक़त रखते हैं
समझौतों भरी,
तमाम क्षुद्र, भौतिक सुखों से भरी
इस दुनिया में I

हम प्यार की इस अविराम खोजी यात्रा में
हर दिन, हर पल
कामयाब रहेंगे
इस विश्वास के साथ कि
पृथ्वी की सबसे सुन्दर
प्रेम की कविता
अभी लिखी जानी बाक़ी है I

न्याय और सुन्दरता और प्यार से भरी
एक दुनिया की चाहत लिए दिल में
हम लड़ेंगे
इतिहास द्वारा तय किए गए मोर्चे पर,
जिएँगे-मरेंगे और प्यार करेंगे
उसी दिन के लिए
तड़पते हुए
रात-दिन !
</poem>
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