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अविजित फिर भी / शशिप्रकाश

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|संग्रह=कोहेकाफ़ पर संगीत-साधना / शशिप्रकाश
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<poem>
विजित शिखर हैं
अविजित फिर भी

उन्नतशिर
उत्प्रेरण देते
आमन्त्रण देते
फिर-फिर आरोहण को ।

हम क्यों हारें ?

नए-नए अभियानों की
योजना बनाएँ ।
</poem>
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