भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशिप्रकाश |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शशिप्रकाश
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'सत्य ठोस है' (ब्रेष्त)
'और नीला आइना बेठोस' (शमशेर)
बेठोस प्रतिबिम्बित कर रहा है ठोस को
नीलेपन के स्वप्निल रंग से
सराबोर करता हुआ ।
मौन बहता है जीवन में
और जीवन का शोर प्रवाहित दिगन्त में ।
ठोस है बेठोस ।
बेठोस होगा ठोस ।
उम्मीदों का रंग नीला
हठ साँवला तपा हुआ
ख़ून हरदम की तरह लाल
बहता हुआ
अनगिन अँधेरी सुरंगों से होकर ।
हमारी तमाम लड़ाइयों की तरह
और महान शहादतों की तरह
इनकी स्मृतियाँ
ज्यों ऋतुओं के बारे में
सोचतीं वनस्पतियाँ ।
००
23 मार्च 2002
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=शशिप्रकाश
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'सत्य ठोस है' (ब्रेष्त)
'और नीला आइना बेठोस' (शमशेर)
बेठोस प्रतिबिम्बित कर रहा है ठोस को
नीलेपन के स्वप्निल रंग से
सराबोर करता हुआ ।
मौन बहता है जीवन में
और जीवन का शोर प्रवाहित दिगन्त में ।
ठोस है बेठोस ।
बेठोस होगा ठोस ।
उम्मीदों का रंग नीला
हठ साँवला तपा हुआ
ख़ून हरदम की तरह लाल
बहता हुआ
अनगिन अँधेरी सुरंगों से होकर ।
हमारी तमाम लड़ाइयों की तरह
और महान शहादतों की तरह
इनकी स्मृतियाँ
ज्यों ऋतुओं के बारे में
सोचतीं वनस्पतियाँ ।
००
23 मार्च 2002
</poem>