भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नैण पिछाणै नेह / शिवराज छंगाणी

693 bytes added, 13:15, 4 सितम्बर 2022
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवराज छंगाणी |संग्रह= }} Category:मूल र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शिवराज छंगाणी
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>
नैण थारै ई है
नैण म्हारै ई है
थूं
थारै नैणां सूं देखै
म्हूं
म्हारै नैणां सूं देखूं
नीं थारो म्हारै सूं रिस्तो
नीं म्हारो थारै सूं रिस्तो,
छेवट नैण ई पिछाणै नेह
नैण थारै ई है
नैण म्हारै ई है।</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits