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कब से तुम गा रहे, कब से तुम गा रहे
कब से तुम गा रहे!
जाल धर आए हो नाव में
कब से तुम गा रहे
कब से हम गा रहे, कब से हम गा रहे
कब से हम गा रहे!
घनी-घनी पाँत है खिजूर खजूर की
राह में हुजूर की
तानें खींच लाईं मुझे दूर की
वंशी नहीं दिल ही गला कर
तेरी गली में हम बहा रहे
कब से हम गा रहे!
सूनी तलैया की ओट में
जामुन-सी काली इन भौंह की छाँह में
डूबे हम जा रहे,
कब से हम गा रहे!
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