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{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
बल्लू मोटा , ना है खोटा
रखे हाथ में , मोटा सोटा।
रोज़ नहाता ,भर-भर लोटा।
चन्दू भाई, है हलवाई
खुद ना खाता, कभी मिठाई।
इसीलिए कोठी बनवाई ।
माधो मट्टू, बड़ा निखट्टू
आदत से है , अड़ियल टट्टू।
सिर है उसका , जैसे लट्टू।
है बरजोरा , बड़ा चटोरा
खाता खीर बाइस कटोरा।
तन है उसका , जैसे बोरा।
-0-
</poem>
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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
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बल्लू मोटा , ना है खोटा
रखे हाथ में , मोटा सोटा।
रोज़ नहाता ,भर-भर लोटा।
चन्दू भाई, है हलवाई
खुद ना खाता, कभी मिठाई।
इसीलिए कोठी बनवाई ।
माधो मट्टू, बड़ा निखट्टू
आदत से है , अड़ियल टट्टू।
सिर है उसका , जैसे लट्टू।
है बरजोरा , बड़ा चटोरा
खाता खीर बाइस कटोरा।
तन है उसका , जैसे बोरा।
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