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बचपन - 24 / हरबिन्दर सिंह गिल

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<poem>
बचपन एक मजबूत व्यक्तित्व बने
यह इस बात पर निर्भर करता है
उन नन्हे-मुन्नों हाथों ने
कैसे दोस्तों से हाथ मिलाया है।

यही हाथ उस बचपन को
या तो जीत के मंच पर खड़े करते रहेगें
और गले में होंगे तमगे विजय के,
या फिर सिलाखों के पीछे
रहना सिखा देंगे और हाथों में होगी
सजी हथकड़ियाँ।

इसलिये हाथ मिलाने से पहले
यह विचार जरूर कर लो
कि इस मिलन से
हाथों में खिंची भाग्य लकीरें भी
बदल कर रह जा सकती है।
</poem>