भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल कुमार सिंह |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनिल कुमार सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हम कुछ ज़्यादा नहीं चाहते
सिवा इसके
कि हमें भी मनुष्य समझें आप

सड़ी हुई लाशों पर जश्न कुत्ते और गिद्ध मनाते हैं
ज़िन्दगी शतरंज का खेल नहीं
जिसमें हमारी शह देकर
जीत लेना चाहते हैं आप

हम कुछ भी ज़्यादा नहीं चाहते
सिवा इसके कि
कहीं न कहीं बचा रहे हमारा थोड़ा-सा स्वाभिमान

समय यूँ ही नहीं गुज़रता
कभी-कभी तो गुज़ारना पड़ता है
सड़ान्ध यूँ ही नहीं जाती
उसे समूल ख़त्म करना पड़ता है

फ़िलहाल हमारे पास कुछ भी नहीं है
सिवा आत्म-सम्मान और भाईचारे के ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,606
edits