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लड़की क्या जाने / देवनीत / रुस्तम सिंह
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17:40, 11 अक्टूबर 2022
इस्तेमाल करता रहूँगा बर्तन
और उसके ख़ाली होने तक जीता रहूँगा ।
'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : रुस्तम सिंह'''
</poem>
अनिल जनविजय
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