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जहाँ साँस है / आदम ज़गायेवस्की

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वह अकेले खड़ी है मंच पर
और उसके पास कोई साज़ नहीं

वह अपने वक्षों पर बिछाती है अपनी हथेलियाँ
जहाँ साँसों का जन्म होता है
और जहाँ मरती हैं वे

हथेलियाँ नहीं गातीं
वक्ष भी नहीं गाते

गाता वही जो ख़ामोश बचा रहता है


'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : गीत चतुर्वेदी'''
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