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Kavita Kosh से
बीते हुए कल और आज के बीच
कुछ नहीं है
दोनों दिनों को आपस में जोड़ने वाला
कोई रास्ता नहीं,
कोई सुरंग नहीं, कोई गलियारा नहीं,
कल और आज के बीच ।
कोई बाड़ या हाता ऐसा अहाता नहीं
जहाँ पक्षी गा रहे होते ।