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मैं प्यार करता हूँ
प्यार को,
ज़िंदगी ज़िन्दगी को,
चीज़ों की मीठी ख़ुशबुओं को,
जनवरी माह के आसमानी नज़ारे को
मेरा लहू उबलता है
मेरी आँखें हँसती हंसती हैं
कि मैं आँसुओं की कलियाँ जानता हूँ
मुझे भरोसा है कि दुनिया ख़ूबसूरत है
बल्कि ये लहू एक है
उन सबका
जो लड़ रहे हैं ज़िंदगी ज़िन्दगी के लिए,
प्यार के लिए,
सुन्दर नज़ारों और रोटी के लिए
el paisaje y el pan,
la poesía de todos.
 
 
 
</poem>
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