बार बार अकुलाना कैसा।
3
जिसका जब तक साथ लिखा है ,तब तक ही वे साथ चलेंगे।
जो छलना बनकरके आए,माना वे दिन रात छलेंगे।
आँधी तूफानों में तुमने,अपमान सहा, साथ न छोड़ा।
तुम जब पथ का बने उजाला,कुछ के दिल दिनरात जलेंगे।
4
'''एक बूँद थी माँगी हमने,तुमने तो गागर दे डाला'''अधरों का प्याला माँगा था,तुमने उर -सागर दे डाला
मैं तो रहा अकिंचन जग में,कुछ भी क्या दे पाया तुमको
तुमने तो सातों जन्मों का,मुझको प्यार अमर दे डाला।
और बहुत से बचे जो बाक़ी,वे ठगने को अड़े हुए ।।
6
'''पता नहीं विधना ने कैसे,अपनी जब तक़दीर लिखी ।'''शुभकर्मों के बदले धोखा,दर्द भरी तहरीर लिखी ।लिखी।हम ही खुद को समझ न पाए,ख़ाक दूसरे समझेंगे।समझेंगेजिसके हित हमने ज़हर पिया,उसने सारी पीर लिखी ।।लिखी।
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