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बार बार अकुलाना कैसा।
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जिसका जब तक साथ लिखा है ,तब तक ही वे साथ चलेंगे।
जो छलना बनकरके आए,माना वे दिन रात छलेंगे।
आँधी तूफानों में तुमने,अपमान सहा, साथ न छोड़ा।
तुम जब पथ का बने उजाला,कुछ के दिल दिनरात जलेंगे।
4
मैं तो रहा अकिंचन जग में,कुछ भी क्या दे पाया तुमको
तुमने तो सातों जन्मों का,मुझको प्यार अमर दे डाला।
और बहुत से बचे जो बाक़ी,वे ठगने को अड़े हुए ।।
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