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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=सांत्वना श्रीकांत}}{{KKCatKavita}}<poem>हड़प्पा से लेकर मेसोपोटामियातक की लिपियाँ,मिट्टी के टीकरों पर उत्खनितअवशेषों को भीबहुत ध्यान से देखा है,रोसेता शिलाखंड औरधोलाविरा की शिला पट्टिका का भीउद्वाचन किया है,समस्त उवाच शब्दों कोउच्चरित करने में प्रयासरत हूँपशुपति और मदरगॉडेस के सामने सिर झुका करघुटने के बल बैठी हूँसिंधु और दजला फरात मेंजी भर कर डुबकी लगाकरउपासना की हैयह समस्त प्रक्रिया मैंनेतुम्हारी खोज में की है।</poem>