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Kavita Kosh से
हड़प्पा से लेकर मेसोपोटामिया
तक की लिपियाँ,
मिट्टी के टीकरों ठीकरों पर उत्खनित
अवशेषों को भी
बहुत ध्यान से देखा है,
रोसेता शिलाखंड और
धोलाविरा की शिला पट्टिका शिलापट्टिका का भी
उद्वाचन किया है,
समस्त उवाच शब्दों को
उच्चरित करने में प्रयासरत हूँ
पशुपति और मदरगॉडेस
के सामने सिर झुका करझुकाकर
घुटने के बल बैठी हूँ
सिंधु और दजला फरात में