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क्षणिकाएं / कुमार मुकुल

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यह सौंदर्य
किसके पास है।
 
क्‍या होता है
भूलना
याद रखा जाता है
कैसे
कैसी बकवास है
यह।
 
उसका वर्तमान
मेरे अतीत में
आवाजाही कर रहा
और
इस तरह
मेरा अतीत
व्‍यतीत नहीं हो रहा।
 
घर से
निकले भी नहीं
इश्‍क
गुजर भी गया ...।
 
मेरी
उदासी ने
तेरा चेहरा
लगा रखा है।
</poem>
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