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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= विनीत मोहन औदिच्य}}{{KKCatSonnet}}<poem>श्यामता का रंग देता कृष्ण का आभासप्रीति की मन में अलौकिक सी जगाता प्यास
श्यामता का रंग देता कृष्ण का आभास
प्रीति की मन में अलौकिक सी जगाता प्यास
द्वार पर ठिठकी हुई सी, पग पड़ी जंजीर
मौन की भाषा में कहतीं तुम अवर्णित पीर ।।
</poem>