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ज़ुल्म के इस दौर में बोलेगा कौन
बढ़ रहा आतंक है रोकेगा कोन
इस तरह ख़ामोश कैसे लोग हैं
हम रहे गर चुप तो फिर बोलेगा कौन
 
रोशनी करनी है तो ख़ुद भी जलो
इस धधकती आग में कूदेगा कौन
 
क्या कोई ऊपर से टपकेगा हुज़ूर
बदमिज़ाजे वक़्त को बदलेगा कौन
 
दिल बड़ा है गर तो आगे आइये
बेसहारों को सहारा देगा कौन
 
डर गये हम भी हुकूमत से अगर
इन्क़लाबी शायरी लिक्खेगा कौन
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