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समर में चलो फिर उतरते हैं हम भी
ज़माने की सूरत बदलते हैं हम भी
अंधेरों ने बेशक हमें घेर रक्खा
शुआओं में लेकिन चमकते हैं हम भी
हमें है पता वोट की अपनी क़ीमत
न भूलो हुक़ूमत बदलते हैं हम भी
भले वो हमारी हो या दूसरे की
मुसीबत में लेकिन तड़पते हैं हम भी
बताओ हमें जिसमें कमियाँ नहीं हों
शराबी नहीं, पर बहकते हैं हम भी
तेरी याद में वो ख़लिश है सितमगर
अकेले में अक्सर सिसकते हैं हम भी
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