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हम सब कुछ सहते हैं / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु
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15:24, 22 दिसम्बर 2022
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{{KKCatKavita}}
<poem>दु;ख में होकर
निपट अकेले
हम सब कुछ सहते हैं
वीरबाला
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