Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
बहुत अँधेरा
दूर सवेरा
दीपक जलते रहना ।
छोटी बाती
एक न साथी
तुझको सब कुछ सहना ।
पथ अनजाना
चलते जाना
दुख न किसी से कहना ।
तुझको घर-घर
बनकर निर्झर
अँधियारो में बहना ।
-0-(15/ 8 /89- तिब्बत बुलेटिन-जनवरी-90, साहित्याकाश जुलाई-90, उजाला-अत्तफ़ुबर 90)
</poem>