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Kavita Kosh से
मत रहो चुप
मुखारविन्द से
'''दो शब्द बोलो।'''
यह किरन
यह तुम्हारे उर की खुशबू
दिल न तोड़ो
'''प्यार घोलो।'''
यह तुम्हारी ही कृति
कुछ तो बोलो
सागर- सा मन तुम्हारा
'''उठो उसके द्वार खोलो।'''
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