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Kavita Kosh से
थके चरण, पथ में धुँधलापन,
उमड़ रहा हृदय से रुदन
दफ्न करो इनको पलभर ,
पकड़ो कर, मैं पार लगा दूँ।
वह देखो! देखो!! भोर हुआ