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{{KKRachna
|रचनाकार=इंग्रिद स्तोरहोलमिन
|अनुवादक=शुचि मिश्रा
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>अध्यक्ष
एक युग हुआ शीघ्र ही
क्या सम्भव था और है
प्रेम का स्पर्श
तुम मुझे झुका सकते हो क्या ?
भीतर से बाहर और बाहर से भीतर
एक फूल की तरह, ऊष्मा की तरह
जो कितने भिन्न-भिन्न
तुमने मेरा नाम रखा है कहानी
बहुत विराट सम्भावना है इसमें
— कहती हूँ मैं !
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : शुचि मिश्रा'''
</poem>
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|अनुवादक=शुचि मिश्रा
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<poem>अध्यक्ष
एक युग हुआ शीघ्र ही
क्या सम्भव था और है
प्रेम का स्पर्श
तुम मुझे झुका सकते हो क्या ?
भीतर से बाहर और बाहर से भीतर
एक फूल की तरह, ऊष्मा की तरह
जो कितने भिन्न-भिन्न
तुमने मेरा नाम रखा है कहानी
बहुत विराट सम्भावना है इसमें
— कहती हूँ मैं !
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : शुचि मिश्रा'''
</poem>