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21:45, 20 जनवरी 2023
धरती के सुदूर देहरी पर
रखा जलता हुआ दीया
देखा प्रकम्पित प्रकाष में
अनापेक्षित
चींटियाँ लौट रही थीं घर
पंक्तिबद्ध
मानो पृथ्वी के मजदूर
लपक रहे हो घर
भरते जल्दी-जल्दी डेग
नहीं जानता
इस दीपावली के शुभ मुहूर्त में
पहँुच पाँएगें घर
लिए हाथों में एक फुलझड़ी
अवनि की आखिरी छोर पर खडे़
प्रतिक्षारत
अपने मासूमों के लिए