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आई ऋतु नवल / कविता भट्ट

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आई ऋतु नवल{{KKGlobal}}डॉ. {{KKRachna|रचनाकार= कविता भट्ट |संग्रह= }}[[Category:चोका]]<poem>
कली बुराँस
चपल है मुस्कान
ये दिव्यनाद
'''नयनों का संवाद
अधर धरे
उन्मुक्त केश वरे
हुई विह्वल
इठलाती चंचल
आई ऋतु नवल।नवल'''।
-0-
</poem>