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Changes
Kavita Kosh से
रिश्तों के आइने पे
धूल जमी है।
31
गले लगाना
जी उठूँगी फिर से
जल्दी आ जाना!
32
गले मिलके
तुम अरमाँ बने
टूटे दिल के।
33
तुम्हारी बातें
तुम क्या जानो देतीं
क्या- क्या सौगातें!
34
दिया सहारा
बुढ़ापे की लाठी है
प्यार तुम्हारा
-0-
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