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{{KKRachna
|रचनाकार= रश्मि विभा त्रिपाठी
|संग्रह=
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
1
हाँ! भर देना
झोली में प्यार, कुछ
अगर देना।
2
'''गुम हो गई'''
'''तुममें ऐसे कि मैं'''
'''तुम हो गई।'''
3
तुम मन में!
जैसे फूल खिले हैं
उपवन में।
4
भू -आकाश में
वैसी प्रीत रखना
भुजापाश में।
5
'''पुचकारके'''
'''माथे पे रच देना'''
'''छंद प्यार के।'''
6
उस छोर से
खींचो, चली आऊँगी
बँधी डोर से।
7
करे पुकार
सरहद के पार
आत्मा का प्यार।
8
गले लगाया
पारस- से तुम हो
जो चाहा, पाया।
9
छाती लगाके
मीत फिर जी उठी
मैं तुम्हें पाके।
10
दूर देश में
तुम जा बसे हो, मैं
पशोपेश में।
11
तुम्हारा प्यार
सबसे बड़ी पूँजी
भरे भण्डार।
12
होके अलग
जी सकी कब, तुम
हो मेरी रग।
13
फड़फड़ाया
साँसों का सुग्गा खूब
तू याद आया।
14
प्राण विकल!
कंठ लगाके तुम
दे देते बल।
15
रहना पास!
तुम सदानीरा हो
मिटेगी प्यास।
16
हाँ! भर देना
झोली में प्यार, कुछ
अगर देना।
17
हैं अकुलाए
ये नैन, चले आओ
बाहें फैलाए।
18
कोई न चला
यहाँ किसी के साथ
साया ही मिला।
-0-
</poem>
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|रचनाकार= रश्मि विभा त्रिपाठी
|संग्रह=
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
1
हाँ! भर देना
झोली में प्यार, कुछ
अगर देना।
2
'''गुम हो गई'''
'''तुममें ऐसे कि मैं'''
'''तुम हो गई।'''
3
तुम मन में!
जैसे फूल खिले हैं
उपवन में।
4
भू -आकाश में
वैसी प्रीत रखना
भुजापाश में।
5
'''पुचकारके'''
'''माथे पे रच देना'''
'''छंद प्यार के।'''
6
उस छोर से
खींचो, चली आऊँगी
बँधी डोर से।
7
करे पुकार
सरहद के पार
आत्मा का प्यार।
8
गले लगाया
पारस- से तुम हो
जो चाहा, पाया।
9
छाती लगाके
मीत फिर जी उठी
मैं तुम्हें पाके।
10
दूर देश में
तुम जा बसे हो, मैं
पशोपेश में।
11
तुम्हारा प्यार
सबसे बड़ी पूँजी
भरे भण्डार।
12
होके अलग
जी सकी कब, तुम
हो मेरी रग।
13
फड़फड़ाया
साँसों का सुग्गा खूब
तू याद आया।
14
प्राण विकल!
कंठ लगाके तुम
दे देते बल।
15
रहना पास!
तुम सदानीरा हो
मिटेगी प्यास।
16
हाँ! भर देना
झोली में प्यार, कुछ
अगर देना।
17
हैं अकुलाए
ये नैन, चले आओ
बाहें फैलाए।
18
कोई न चला
यहाँ किसी के साथ
साया ही मिला।
-0-
</poem>