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<poem>
किसे मालूम किसकी बारी है
ये तमाशा अभी तो जारी है


ख़ल्क़<ref>लोग, सृष्टि; people, creation</ref> मन्ज़र<ref>दृश्य; view</ref> है ख़ल्क़ नाज़िर<ref>दर्शक; viewer</ref> है
बीच में कौन ये मदारी है

तख़्त है ताज़ है हुकूमत है
और जम्हूर<ref>जनता; people</ref> की सवारी है

किसका सर आ गया निशाने पर
किस इलाक़े में चाँद-मारी है

मुल्क है ख़ल्क़ है ज़माना है
एक वहशत<ref>पागलपन; madness</ref> सभी पे तारी<ref>छाया हुआ; overcast</ref> है

कोई दुश्मन है कोई अपना है
अपनी तलवार भी दुधारी है

दिल जो खोला है आप से हमने
उसमें ख़ुद से भी होशियारी है

ख़ुद को ख़ुद से घटा के देखा है
जो भी बचता है ख़ुद पे भारी है

जान जोखिम में डाल कर रखिये
आज इसमें ही बुर्दबारी<ref>सयानापन; wisdom, maturity</ref> है

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</poem>
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