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{{KKParichay
|चित्र=Charles Mackay.jpg
|नाम=चार्ल्स मैके
|उपनाम=
|जन्म=27 मार्च 1814
|जन्मस्थान=पेर्थ, स्कॉटलैण्ड
|मृत्यु=24 दिसम्बर 1889
|कृतियाँ=गीत और कविताएँ (1834), भ्रम और भीड़ का पागलपन (1841),
|विविध=लन्दन और ब्रुसेल्स में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान चार्ल्स मैके ने अपने बचपन का ज़्यादातर समय फ़्रांस में बिताया। फिर 1834 में लन्दन में पत्रकारिता शुरू कर दी और ’मॉर्निंग क्रॉनिकल’ अख़बार के संवाददाता बन गए। १८४४ में ’ग्लासगो आर्गुस’ नामक अख़बार के सम्पादक बने और 1848 में ’इलस्ट्रेटिड लण्डन न्यूज’ में चले आए, जहाँ 1852 में सम्पादक बन गए।
|जीवनी=[[चार्ल्स मैके / परिचय]]
|अंग्रेज़ीनाम=Charles Mackay
|shorturl=
|gadyakosh=
|copyright=
}}
====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====
* [[तुम अजातशत्रु हो, कहते हो तुम? / चार्ल्स मैके / प्रिय दर्शन]]
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|नाम=चार्ल्स मैके
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|जन्म=27 मार्च 1814
|जन्मस्थान=पेर्थ, स्कॉटलैण्ड
|मृत्यु=24 दिसम्बर 1889
|कृतियाँ=गीत और कविताएँ (1834), भ्रम और भीड़ का पागलपन (1841),
|विविध=लन्दन और ब्रुसेल्स में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान चार्ल्स मैके ने अपने बचपन का ज़्यादातर समय फ़्रांस में बिताया। फिर 1834 में लन्दन में पत्रकारिता शुरू कर दी और ’मॉर्निंग क्रॉनिकल’ अख़बार के संवाददाता बन गए। १८४४ में ’ग्लासगो आर्गुस’ नामक अख़बार के सम्पादक बने और 1848 में ’इलस्ट्रेटिड लण्डन न्यूज’ में चले आए, जहाँ 1852 में सम्पादक बन गए।
|जीवनी=[[चार्ल्स मैके / परिचय]]
|अंग्रेज़ीनाम=Charles Mackay
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====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====
* [[तुम अजातशत्रु हो, कहते हो तुम? / चार्ल्स मैके / प्रिय दर्शन]]