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{{KKRachna
|रचनाकार=रुचि बहुगुणा उनियाल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जैसे लौट आती हैं
ऋतुएँ,
जैसे लौटती हैं
हर शाम चिड़ियाँ
घोंसले में,
जैसे लौटती है
गाय
अपने बछड़े के पास
गोधूलि में,
जैसे लौट आता है
बचपन
नाती-पोते के रूप में,
हाँ
मैं लौट आऊँगी
एक दिन-
जैसे लौटती है
एक मीठी याद,
बस तुम बचाए रखना
मेरे लौटने तक
पुनर्मिलन की इच्छा
</poem>
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|रचनाकार=रुचि बहुगुणा उनियाल
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|संग्रह=
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जैसे लौट आती हैं
ऋतुएँ,
जैसे लौटती हैं
हर शाम चिड़ियाँ
घोंसले में,
जैसे लौटती है
गाय
अपने बछड़े के पास
गोधूलि में,
जैसे लौट आता है
बचपन
नाती-पोते के रूप में,
हाँ
मैं लौट आऊँगी
एक दिन-
जैसे लौटती है
एक मीठी याद,
बस तुम बचाए रखना
मेरे लौटने तक
पुनर्मिलन की इच्छा
</poem>