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{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक=मोहन थपलियाल
|संग्रह=इकहत्तर कविताएँ और तीस छोटी कहानियाँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
फ़ौलादी कवि
जब इन्हें पीटता है
देवियाँ और ऊँचे स्वरों में गाती हैं
सूजी आँखों से
वे उसका
आदर करती हैं
पूँछ मटकाती हुई
कुतियों की तरह
उनके नितम्ब फड़कते हैं पीड़ा से
और जाँघें वासना से ।
(1953)
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल'''
</poem>
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}}
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<poem>
फ़ौलादी कवि
जब इन्हें पीटता है
देवियाँ और ऊँचे स्वरों में गाती हैं
सूजी आँखों से
वे उसका
आदर करती हैं
पूँछ मटकाती हुई
कुतियों की तरह
उनके नितम्ब फड़कते हैं पीड़ा से
और जाँघें वासना से ।
(1953)
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल'''
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