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|रचनाकार=कमल जीत चौधरी
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<poem>
पहाड़ झुके - झुके
चलते थे द्वापर में
पहाड़ झुके - झुके
चलते हैं कलियुग में
पहाड़ धरती की पीठ पर कुब्जा हैं —
कृष्ण कहाँ हैं ?
</poem>
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पहाड़ झुके - झुके
चलते थे द्वापर में
पहाड़ झुके - झुके
चलते हैं कलियुग में
पहाड़ धरती की पीठ पर कुब्जा हैं —
कृष्ण कहाँ हैं ?
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