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कठपुतली
गुस्से से उबली
बोली - ये धागेक्यों हैं मेरे पीछे - आगे ?
तब तक दूसरी कठपुतलियांकठपुतलियाँबोलीं कि हां हां हांहाँ हाँ हाँ
क्यों हैं ये धागे
हमारे पीछे-आगे ?हमें अपने पांवों पाँवों पर छोड़ दो,
इन सारे धागों को तोड़ दो !
बेचारा बाज़ीगर
हक्का-बक्का रह गया सुन करसुनकर
फिर सोचा अगर डर गया
तो ये भी मर गयीं गईं, मैं भी मर गया
और उसने बिना कुछ परवाह किए
जोर जोर ज़ोर - ज़ोर धागे खींचे
उन्हें नचाया !
कठपुतलियों की भी समझ में आया
कि हम तो कोरे काठ की हैं
जब तक धागे हैं,बाजीगर बाज़ीगर है
तब तक ठाट की हैं
और हमें ठाट में रहना है
याने कोरे काठ की रहना है
</poem>
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