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{{KKRachna
|रचनाकार=भारत भूषण अग्रवाल
|संग्रह=उतना वह सूरज है / भारत भूषण अग्रवाल
}}
घर में अधिनायकत्व है
कभी-कभी लगता है
यही भारतत्व है ।
</poem>