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वापिस लौटो, तुम रोको क़दम
होठों का तेरे मकरन्द ये कड़वा
मैं चूमना चाहूँ , गुल ये तेरे, हमदम !
'''स्पानी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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