घुप्प अंधेरे में
देखता हूँ
सीढ़ीनुमा एक खिड़की
खुलती हुई
आसमान की तरफ
जीना सिखाती
आती है यहीं से
कभी चमचमाती धूप, रिमझिमाते बादल,
कभी ओलों की बौछार
झपट्टा मारती चमकती आँखों वाली बिल्ली...
पहले की तरह
इस बार मैं डरा हुआ नहीं हूँ
खुली खिड़की--
हँसती है
रोती है/ सुबकती है/ थिरकती है/ ढहती है
अंधेरी हवेली में
एक खिड़की खुली है अभी ।
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